फागुन गीत


फ़ागुन-गीत-

बावरी दे दे भर भर जाम
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मांगे ही घनश्याम तेरा ये मांगे हैं घनश्याम
बावरी दे दे भर भर जाम
बावरी दे दे भर भर जाम
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कृपावंत तू मैं दुखियारा
तू मेरा हर ले अंधियारा
कैसे मैंने उम्र गुजारी ले ले तेरा नाम
बाबरी दे दे भर भर जाम
बावरी दे दे भर भर जाम
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तू फूलों की डाली पावन
मैं अतृप्त तड़पता फागुन
महका दे मेरी बगिया को ऐ मेरी गुलफाम 
बावरी दे दे भर भर जाम
बावरी दे दे भर भर जाम 
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शम्मा है तू मैं परवाना
मेरा तुझसे है याराना
सोचा भी है दिल तोड़ा तो क्या होगा अंजाम 
बावरी दे दे भर भर जाम
बावरी दे दे भर भर जाम
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मुझको मेरा जीवन दे दे
यौवन का अपना धन दे दे
रोते मेरी सुबह हुई है यूँ ना बीते शाम
बावरी दे दे भर भर जाम
बावरी दे दे भर भर जाम
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मैं हूँ प्यासा पथिक बिचारा
तू "अनंत" सरिता की धारा
अगर मर गया प्यासा ही तो तू होगी बदनाम
बावरी दे दे भर भर जाम
बावरी दे दे भर भर जाम
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अख्तर अली शाह "अनन्त" नीमच

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