दोहे

आप सभी को #गुरुनानक_जयंती एवम् कार्तिक पूर्णिमा की हार्दिक बधाई एवम् शुभकामनाएं
#साहित्य_अर्पण_एक_पहल

ज्ञान दिया प्रकाश किया, दूर किया अंधकार।
साँचा फिर इक नाम दिया,रट ले बारंबार।।1।।

आते-जाते हैं सभी,नश्वर सारे लोग।
जी ले अपनी जिंदगी,मोह न लागे भोग।।2।।

करता क्यों चिंता मनुज,साथी है अरदास।
तारणहार जग में वही,वही करे उदास।।3।।

आता जग में जो कभी,जाना है इक बार।
रट ले रट ले तू कभी,वही तो खेवनहार।।4।।

देता कितने ज्ञान है,मन में करे प्रकाश।
जीवन को हँसके जियें,मन न करें उदास।।5।।

गुरुवर नानक नाम है,सच्चा है बस नेह।
मीठी वाणी बोलके, सबका मन हर लेय।।6।।

आता मुट्ठी बाँधके,जाता मुट्ठी खोल।
कटु शब्द चुभते सदा,मीठा-मीठा बोल।।7।।

आती जाती जिंदगी,होती चीज महान।
अंत समय ये नैन भी,कर देना तूँ दान।।8।।

मन की करनी जो किए,बाद रहे पछताय।
बात हृदय की मानिए,सच्ची बात सुहाय।।9।।

आती बाधा जब कभी,देती होश उड़ाय।
वीरन की बात गज़ब है,मात कभी न खाय।।10।।
यश, पद, प्रतिभा पायके, मत करिएअभिमान।
नश्वर दिखती चीज सभी,बात ले मेरी मान।।11।।

गुरू चरणों में बंदगी, गंदगी मन न आय।
भेदभाव को भूलिए,सारे लोग सुहाय।।12।।

मेरा मेरा क्यों करे, झूठा है संसार।
झूठे जग में लोग सभी,झूठी है पतवार।।13।।

अनिल कुमार "निश्छल"

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