मेरा यार

छल छद्म झूठ से कपट से जिसको प्यार है। 
वो मेरा यार मेरा यार मेरा यार है  ।।
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जब चाहे जिसे आधी रात को पकड़ता है। 
कानून के शिकंजे में नाहक जकड़ता हैं ।।
जकड़े रखे चौबीस घंटों से भी ज्यादा पर ।
कहता है पूंछने पे वो, कोई नहीं अंदर  ।।
बिना वजन के लिखता ही नहीं कोई रिपोर्ट ।
संगीन जुर्म में भी वो कह देता जाओ कोर्ट।। 
बना सके हर एक को सरकार का मेहमान। 
फरयादी का इसीलिए कर देता है चालान ।।
निकला है जो कपूत सारे घर पे भार है ।
वो मेरा यार मेरा यार मेरा यार है ।।
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अनमोल आँखें गर्म सलाखों से फोड़ता ।
बंदूक के कुंदे से दोनों टांगें तोड़ता ।।
लोगों को मार मार बना देता है बंदर 
दिलकी जगह पे रखता है शायद बड़ा पत्थर।।
जो बिजली का करंट नंगा करके लगाता । 
हैवान बनके खुद का ही पेशाब पिलाता ।। 
एक एक बूंद पानी को तरसता है घंटों ।
भूखे प्यासे रख के कहर ढ़ाता है घंटों ।।
शैतानों का जो बाप है जो आर पार है ।
वो मेरा यार मेरा यार मेरा यार है ।।
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लूटे हुए सामानों से ,है घर भरा हुआ ।
यूँ जिंदगी का बाग है उसका हरा हुआ ।।
वो चोरी डकैती में रहा हिस्सेदार है ।
जुएं में भी सट्टे में भी तो पांतीदार  है ।।
दुधारू प्राणियों को दुहने का जिसका काम ।
रिश्वत फरेब झूठ दगा जिसके चारों धाम।। 
यमराज का जो रूप है जमीं पे काल है । 
बनकर कसाई लोगों को करता हलाल है ।।
करता है नकद राशि का जो कारोबार है ।
वो मेरा यार मेरा यार मेरा यार है ।।
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 इंसाफ से जिस जीव को मतलब नहीं होता। 
जिसको नहीं मतलब कि कौन हँसता या रोता।। 
कोई भी फंसे जिसको अपने धंधे से मतलब । 
इसी उधेडबुन में जो दिखलाता है करतब ।। 
कभी कभी नेताओं की, लाठी भी बना है ।
शतरंज का मोहरा कभी, फूग्गे सा तना है ।।
जो पूंछ हिलाता है अपने बॉस के आगे ।
रखता है ये उम्मीद कि किस्मत कभी जागे।। 
अव्वल जो बेवफाई में शातिर सियार है । 
वो मेरा यार, मेरा यार, मेरा यार है ।।
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अड्डा वो कारोबार का ऑफिस को बनाता। 
अबलाओं की इज्जत को नोच नोच के खाता।। 
इतना ही नहीं अपने साथियों को खिलाता । 
इतिहास यूँ हर रोज वो थाने में बनाता  ।।
गुंडों की भाई गिरी को जो मात दे रहा ।
दिन का उजाला छीन काली रात दे रहा ।।
हत्याओं आत्महत्याओं का है यही सबब ।  
किसको सुनाएं कौन दर्दे दिल सुनेगा अब ।।
हर पृष्ठ जिंदगी का जिसकी दागदार है ।
वो मेरा यार, मेरा यार, मेरा यार है ।।
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स्वरचित एवं मौलिक 
अख्तर अली शाह "अनंत" नीमच  
9893788338

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