आसमान का दमकता आफ़ताब बनो
गुनगुनाती सरगमों का साज़ बनो
दबे-कुचले,मजलूमों की आवाज़ बनो
जहाँ जाओ तुम्ही बस सरताज़ बनो
अनिल कुमार "निश्छल"
आसमान का दमकता आफ़ताब बनो
गुनगुनाती सरगमों का साज़ बनो
दबे-कुचले,मजलूमों की आवाज़ बनो
जहाँ जाओ तुम्ही बस सरताज़ बनो
अनिल कुमार "निश्छल"
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