मुक्तक

दामन मझधार में यूँ ही किसी के छोड़ें नहीं जाते
यूँ ही दिल जज़्बातों में आ किसी के तोड़े नहीं जाते
छोटी-छोटी गलतियों को भुला दो मेरे दोस्तों अक्सर
आपस में ही रहकर अपनों से यूँ मुँह मोड़े नहीं जाते

अनिल कुमार "निश्छल"

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