★★★बाल साहित्य★★★
"तोताराम"
एक तोता पाला हमनें;
नाम रखा है मिट्ठूराम।
मिर्च हरी है भाए उसको;
हर दिन खाता खूब तमाम।।
जब पापा ऑफिस से आते;
कहता कर लो अब आराम।
मम्मी जी से बातें करता;
रोज सुबह हो या शाम।।
दीदी को दे आवाज बुलाता;
दीदी-दीदी अब आओ न।
जब मैं रूठूँ मुझे रिझाता;
करता करतब खुलेआम।।
दादा,दादी बैठें हों जब;
शीश नवाँ करता प्रणाम।
लोटपोट हो जाते हैं सब;
करने लगता जब व्यायाम।।
मौलिक और स्वरचित
अनिल कुमार
"निश्छल"
शिवनी, हमीरपुर (उ०प्र०)
7458955275
0 Comments