नफ़रत मत बाँटो






नफ़रत की   धूल हटाकर तो देखो
अपना तुम   हाथ बढ़ाकर तो देखो

दिल का गुलशन भी  खिल जायेगा
शज़र मुहब्बत का उगाकर तो देखो

वतन में चैनो-अमन भी आ जायेगें
सुलह की बात  चलाकर  तो देखो

दुनिया खूबसूरत फिर नज़र आयेगी
नफ़रत की आग बुझाकर  तो देखो

जाते हैं इक ही रास्ते आने वाले सब
ख़ुद को इक इंसान  बनाकर तो देखो

अनिल कुमार निश्छल

Post a Comment

0 Comments